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Bewafa Shayari in Hindi, शायरी बेवफा, बेवफाई शायरी


ये चिराग-ए-जान भी अजीब है,
कि जला हुआ है अभी तलक,
उसकी बेवफाई की आँधियाँ तो,
कभी की आ के गुजर गईं। 

मेरे कलम से लफ्ज़ खो गए सायद 
आज वो भी बेवफा हो गाए सायद 
जब नींद खुली तो पलकों में पानी था 
मेरे ख्वाब मुझपे रो गाए सायद 

वो निकल गए मेरे रास्ते से इस कदर कि,
जैसे कि वो मुझे पहचानते ही नहीं,
कितने ज़ख्म खाए हैं मेरे इस दिल ने,
फिर भी हम उस बेवफ़ा को बेवफ़ा मानते ही नहीं। 

वो साथ थी तो मानो जन्नत थी जिंदगी दोस्तों,
अब तो हर सांस जिंदा रहने कि वजह पूछती है।


जिस किसीको भी चाहो वोह बेवफा हो जाता है,
सर अगर झुकाओ तो सनम खुदा हो जाता है,
जब तक काम आते रहो हमसफ़र कहलाते रहो,
काम निकल जाने पर हमसफ़र कोई दूसरा हो जाता है 

हमने ज़रा खता क्या की तुम नाराज़ हो गए,
हम ज़रा दूर क्या हुए तुम उदास हो गए ,
हम ज़रा बुरे क्या हुए तुम बेवफा हो गए,
तुम ज़रा बेवफा क्या हुए हम बदनसीब हो गए.. 

ये चिराग-ए-जान भी अजीब है,
कि जला हुआ है अभी तलक,
उसकी बेवफाई की आँधियाँ तो,
कभी की आ के गुजर गईं।

बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी, 
फिर भी बेइंतहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी।


कभी ग़म तो कभी तन्हाई मार गयी,
कभी याद आ कर उनकी जुदाई मार गयी,
बहुत टूट कर चाहा जिसको हमने,
आखिर में उनकी ही बेवफाई मार गयी 

जब मौसम बदले हर बार तो आंधी नहीं आया करती ,
हर किसी के प्यार की काली यूँ नहीं मुरझाया करती,
यह दिल तोड़ने वाली इतना तो जानती होगी ,
की दिल टूटने की कभी आवाज़ नहीं आया करती।। 

जख़्म इतना गहरा हैं इज़हार क्या करें। 
हम ख़ुद निशां बन गये ओरो का क्या करें। 
मर गए हम मगर खुली रही आँखे हमरी। 
क्योंकि हमारी आँखों को उनका इंतेज़ार हैं। 

कभी जो हम से प्यार बेशुमार करते थे,
कभी जो हम पर जान निसार करते थे,
भरी महफ़िल में हमको बेवफा कहते हैं,
जो खुद से ज़्यादा हमपर ऐतबार करते थे।


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