एक निवेशक का नजरिया समझने की कोशिश करते हैं।
दो दोस्त हैं और दोनों ने दो मोबाइल रिपेयरिंग की दुकान खोली है। दोनों की दूकान मस्त चल रही है और दोनों काफी पैसे कमा रहे हैं।
एक व्यक्ति मोबाइल रिपेयरिंग में माहिर है और इसीलिए उसके पास शुरू से ही ग्राहक आने लगते हैं। दुसरे दोस्त को माहिरात हासिल नहीं है, फिर भी वह एक अच्छा कारीगर ढून्ढ कर लाता है और व्यापार शुरू करता है।
पहला व्यक्ति ग्राहकों को ईमानदारी से अच्छी सर्विस देता है और थोडा बोहुत मुनाफा रखकर मोबाइल के पार्ट्स बेचता है। दूसरा व्यक्ति भी अच्छी सर्विस देने की कोशिश करता है लेकिन वह अपने दूकान को ‘दूकान’ न समझकर एक ‘ब्रांड’ की तरह मार्किट करता है।
एक साल बीत चुका है और इस दोस्त ने दुसरे से कहा की ‘सोच रहा हूँ शहर के दुसरे कोने में एक और ब्राँच खोलूं।’
दूसरा कहता है ‘छोड़ न, क्या जरूरत है, यहाँ एक ही ब्रांच से इतने सारे पैसे कमा रहे हैं।’
दोनों के ग्राहक इतने बढ़ चुके हैं की एक ने सोचा अपने ब्रांच को बढ़ाने के लिए और दुसरे ने सोचा की एक ही दुकान रहने दो, लेकिन मोबाइल के पार्ट्स ज्यादा खरीद लो ,ग्राहक जो बढ़ रहे हैं।’
दोनों को पैसे की जरूरत है। आप एक निवेशक हैं। दोनों आपके पास आते हैं ताकि आपका पैसा उनके व्यापार को बढ़ा सके। आप किसके व्यापार में निवेश करेंगे?
एक को जरूरत है की वह मोबाइल के पार्ट्स बल्क में खरीदे, इसके लिए अगर आप उसके व्यापार में निवेश करते हैं तो आपको कोई फायदा नहीं होगा। आपके निवेश किये हुए पैसों की कीमत नहीं बढ़ेगी। आप उसको पैसे लोन के तौर पर दे सकते हैं, और वही चीज़ बैंक भी कर सकता है।
अब दुसरे को चाहिए की वह एक नया ब्रांच खोले, दुसरे शहर तक पंख फैलाये और एक ब्रांड बनाये। आप यहाँ पैसे निवेश करते हैं तो क्या क्या होगा आइये देखते हैं।
- आपके पैसों के बदले वह व्यक्ति आपको अपने व्यापार में एक हिस्सा देता है, और आप उसके कंपनी के शेयरहोल्डर कहलाते हैं। आपके पैसों का इस्तेमाल करके वह नया ब्रांच खोलता है, अपने सर्विस की ब्रांडिंग करता है, विज्ञापन छपवाता है और शुरू शुरू में ग्राहक हथियाने के लिए घाटे में काम करता है।
- एक बार ग्राहक बढ़ने लगे, तो वह अलग अलग स्कीम निकालता है, जैसे extended वारंटी। फिर वह अपने ब्रांड को फ्रैंचाइज़ी के तौर पर फैलाता है और देश के हर बड़े शहर में उसका ब्रांड दिखने लगता है।
- उसकी कंपनी घाटे में है क्योंकि इस वक़्त वह मार्केट हथियाने के लिए सस्ते में सर्विस दे रहा है।
- अब उसको और पैसों की जरूरत है क्योंकि वह चाहता है की कोई भी बड़ी कंपनी, सैमसंग हो या ओप्पो, भारत में सर्विस सेंटर न खोले, सारे मोबाइल ब्रांड कि सर्विस की ज़िम्मेदारी outsource होकर इसकी कंपनी को मिले।
- अब वह और पैसों के लिए जाता है प्राइवेट इक्विटी निवेशकों के पास। क्योंकि अब उसकी कंपनी का ब्रांड एक शहर से 10 शहरों तक पोहंच चुका है और विज्ञापनों में उसका ब्रांड हमेशा दीखता रहता है, तो प्राइवेट इक्विटी जैसे बड़े निवेशक उसके व्यापार में निवेश करने के लिए तैयार हो जाते हैं।
- अब उसकी कंपनी की वैल्यूएशन भी 10 गुना बढ़ चुकी है। आप चाहें तो अपनी हिस्सेदारी उस प्राइवेट इक्विटी कंपनी को बेच सकते हैं, या फिर और इंतज़ार कर सकते हैं।
- अब यह व्यक्ति भारत में एक क्रान्ति लेकर आता है, सारे मोबाइल कंपनी अब अपनी सर्विस की ज़िम्मेदारी इसकी कंपनी को दे देते हैं। अब पूरा मार्केट इसका है और अब यह अपने सर्विस की कीमत बढ़ा देता है और मुनाफा कमाने लगता है।K
- कहाँ एक दूकान से शुरू हुआ व्यापार 100 गुना बढ़कर एक क्रान्ति का रूप ले लेता है। आपके 50 लाख के निवेश की कीमत अब बढ़कर 50 करोड़ हो चुकी है। जब इसकी कंपनी शेयर बाजार में लिस्ट होगी, तो पब्लिक को सबसे पहले शेयर्स बेचने का मौका आपको दिया जायेगा।
- या फिर किसी और बड़े प्राइवेट इक्विटी निवेशक को आप शेयर्स बेच सकते हैं।
अब तक आप समझ ही गए होंगे की कोई भी निवेशक किस प्रकार के व्यापार में निवेश करने के लिए उतावला होता है।
अगर मेरे पास कोई ऑफर लेकर आता है की उसको एक ऐसी दूकान खोलनी है जो इस शहर में नहीं है और बहुत मुनाफा होगा, तो वह मुनाफा उसके लिए होगा, लेकिन मेरे पैसों की कीमत नहीं बढ़ेगी, तो अगर मैं उसको पैसे दूं भी, तो वह लोन के जरिये दूँगी, बिना कोई व्यापार में हिस्सेदारी लिए हुए क्योंकि मेरी हिस्सेदारी की वैल्यू नहीं बढ़ेगी।
वही दूसरी तरफ एक व्यक्ति कहता है की मैं एक दूकान खोलूंगा और धीरे धीरे उसको हर शहर में फैलाउंगा। यहाँ पर निवेश करने से फायदा है, क्योंकि निवेश के बदले हिस्सेदारी मिलेगी और जब व्यापार फैलेगा, तो मेरी हिस्सेदारी की कीमत भी बढ़ेगी।







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